भारत में लोन लेना अब पहले की तुलना में काफी आसान हो गया है। आमतौर पर लोग जब भी बैंक या किसी वित्तीय संस्था से लोन लेने जाते हैं तो सबसे पहले उनका सिविल स्कोर देखा जाता था। सिविल स्कोर यानी CIBIL Score यह बताता है कि व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री कैसी रही है, यानी उसने पुराने लोन या क्रेडिट कार्ड की पेमेंट समय पर की है या नहीं।
अगर सिविल स्कोर कम हुआ तो लोन मिलना मुश्किल हो जाता था, लेकिन अब सरकार ने बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्रालय ने 7 अक्टूबर 2025 से एक नया नियम लागू किया है। इसके तहत कई तरह के लोन के लिए अब सिविल स्कोर अनिवार्य नहीं रहेगा। इसका सीधा फायदा आम लोगों और खासकर उन लोगों को मिलेगा जिनका सिविल स्कोर कम है या जिनका कभी क्रेडिट हिस्ट्री नहीं रहा।
इससे लाखों लोगों को लोन प्राप्त करने में आसानी होगी और उनकी वित्तीय समस्याएं कम होंगी। इस बदलाव से खासतौर पर वे युवा, गृहिणियां, और वे लोग जो पहली बार लोन लेना चाहते हैं, उन्हें अब लोन के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। सरकार का यह कदम देश में आर्थिक विकास और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब जानिए पूरी जानकारी आसान भाषा में।
CIBIL Score: New Update
CIBIL Score अब तक भारत में किसी भी प्रकार का लोन या क्रेडिट कार्ड प्राप्त करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण शर्त था। सिविल स्कोर की रेंज 300 से 900 तक होती है। आम तौर पर 750 या उससे अधिक स्कोर वाले व्यक्तियों को बिना परेशानी के लोन मिल जाता था। अगर स्कोर कम रहा तो बैंक लोन देने से मना कर देते थे, या ब्याज दर बहुत ज्यादा कर देते थे।
अब वित्त मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि 7 अक्टूबर 2025 से कई ऐसे लोन उत्पादों और सरकारी योजनाओं में CIBIL Score अनिवार्य नहीं रहेगा। यानी अगर किसी ग्राहक का स्कोर अच्छा नहीं है, तब भी वह बैंक या अन्य मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्था से लोन के लिए आवेदन कर सकता है। इससे ग्रामीण और निम्न वर्ग के लोग भी आसानी से बैंकिंग लाभ उठा सकते हैं।
यह बदलाव खासकर किसानों, स्वरोजगार, एमएसएमई (MSME) बिजनेस, स्टूडेंट्स और उन लोगों के लिए लागू किया गया है, जो अपनी पहली बार लोन या फाइनेंस की सुविधा लेना चाहते हैं। सरकारी योजनाओं में भी अगर पहले CIBIL Score देखा जाता था, वहां अब सिर्फ KYC दस्तावेज और आवश्यक जानकारी से लोन उपलब्ध होगा।
सरकार ने यह कदम लगातार आ रही जन शिकायतों और ग्रामीण इलाकों में क्रेडिट पहुँच बढ़ाने के लिए उठाया है। अक्सर छोटे कस्बों-गांव के लोगों की क्रेडिट हिस्ट्री नहीं होती, क्योंकि वे पहली बार बैंक सुविधा या लोन लेते हैं। उनके लिए यह नया नियम वरदान साबित होगा।
सरकार ने यह भी कहा है कि इससे बैंकिंग सेक्टर को ज्यादा उपभोक्ता मिलेंगे और डिजिटल पेमेंट एवं वित्तीय समावेशन को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, बिजनेस करने वाले, नई शुरुआत करने वाले युवाओं और छोटे उद्यमियों को पूंजी जुटाने में आसानी होगी। सरकार का लक्ष्य है कि भारतीय अर्थव्यवस्था के हर सेक्शन का विकास हो और सभी नागरिकों को बैंक की सुविधाएं मिले।
कौन-सी योजनाओं में लागू होगा नया नियम
यह नियम कई प्रमुख सरकारी योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY), स्टैंड अप इंडिया, पीएम स्वरोजगार योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) जैसे कार्यक्रमों में भी लागू किया गया है। इन योजनाओं में CIBIL Score की प्राथमिकता अब समाप्त कर दी गई है। सिर्फ जरूरी KYC, आय प्रमाण, और आवेदन पत्र की जरूरत होगी।
निजी बैंकों और पब्लिक सेक्टर बैंकों को निर्देश दिया गया है कि वे भी छोटे लोन, शिक्षा लोन, क्रेडिट कार्ड जैसी छोटी रकम वाली सेवाओं में अनावश्यक रूप से सिविल स्कोर को आधार न बनाएं। यह नियम खासकर ₹5 लाख या उससे कम राशि वाले लोन के लिए लागू किया गया है। उच्च राशि या बड़े लोन के लिए CIBIL Score की शर्त फिलहाल बनी रहेगी।
केंद्र सरकार का कहना है कि नए नियम से गरीब, पिछड़े और वंचित वर्ग के लोग अब आसानी से बैंकिंग और फाइनेंसरी सहायता प्राप्त कर पाएंगे। इससे स्वरोजगार, स्टार्ट-अप और छोटे व्यवसायों को भी मजबूती मिलेगी। बैंक और संस्थाएं जरूरतमंदों तक आसान और त्वरित लोन की सुविधा पहुंचा पाएंगी।
कैसे करें आवेदन – लोन के लिए नई प्रक्रिया
- बैंक या नजदीकी कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) में जाएं।
- जरूरी KYC दस्तावेज (आधार, पैन, पासपोर्ट फोटो आदि) जमा करें।
- बैंकों द्वारा दिया गया लोन आवेदन पत्र भरें।
- जरूरी आय प्रमाण पत्र या अन्य दस्तावेज संलग्न करें।
- बैंक कर्मचारी दस्तावेजों की जांच के बाद, योग्यता के अनुसार लोन स्वीकृत करेगा।
अधिकांश बैंकों में अब डिजिटल एप्लीकेशन और त्वरित वेरिफिकेशन भी उपलब्ध है, जिससे ग्रामीण इलाकों में भी लोग आसानी से आवेदन कर पाएंगे।
निष्कर्ष
सरकार के नए नियम के तहत अब करोड़ों भारतीयों को लोन लेने के लिए सिविल स्कोर की चिंता नहीं करनी पड़ेगी। यह एक ऐतिहासिक कदम है, जिससे विशेष रूप से कमजोर वर्ग, ग्रामीण क्षेत्रों और न्यू इंटरप्रेन्योर को बड़ा लाभ मिलेगा। अब बैंकिंग और लोन व्यवस्था सबकी पहुंच में आएगी और आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिलेगा।