DAP और यूरिया खाद की नई दर 2025 में किसानों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आई है। सरकार ने खरीफ सीजन 2025 के लिए डीएपी खाद की कीमत ₹1350 प्रति 50 किलोग्राम बोरी तय की है। यह दर पिछले सीजन की तरह ही बनी हुई है, जिससे किसानों को लागत बढ़ने के दबाव से बचाया गया है। सरकार ने इसके लिए ₹37,216.15 करोड़ की विशेष सब्सिडी का प्रावधान किया है। यह राशि पिछले रबी सीजन की तुलना में लगभग ₹13,000 करोड़ अधिक है।
इस योजना के तहत यूरिया खाद की कीमत भी स्थिर रखी गई है। एक 45 किलोग्राम बोरी की कीमत ₹266.50 है। यह दर भी सब्सिडी के बाद की है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद की कीमतों में उछाल के बावजूद सरकार ने किसानों को इसका असर नहीं झेलने दिया है। इससे किसानों की खेती की लागत पर नियंत्रण रहेगा।
सरकार ने उर्वरकों की उपलब्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए इंटीग्रेटेड फर्टिलाइजर मॉनिटरिंग सिस्टम (iFMS) को लागू किया है। इस प्रणाली के जरिए खाद की आवाजाही को ऑनलाइन ट्रैक किया जा रहा है। इससे कालाबाजारी और अनियमितताओं पर रोक लगाने में मदद मिल रही है।
DAP Urea New Rate 2025
केंद्र सरकार ने खरीफ 2025 के लिए डीएपी और यूरिया खाद की कीमतों को नियंत्रित करने का फैसला किया है। यह निर्णय किसानों को बढ़ती लागत से बचाने के उद्देश्य से लिया गया है। डीएपी की एक बोरी की कीमत ₹1350 तय की गई है। यह दर अंतरराष्ट्रीय बाजार में खाद की बढ़ी कीमतों के बावजूद निर्धारित की गई है। सरकार ने इसके लिए भारी सब्सिडी दी है।
यूरिया खाद की कीमत भी स्थिर रखी गई है। एक 45 किलोग्राम बोरी की कीमत ₹266.50 है। यह दर भी सब्सिडी के बाद की है। सरकार का उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य पर खाद उपलब्ध कराना है। इससे खेती की लागत कम रहेगी और फसल उत्पादन में वृद्धि होगी।
योजना का विवरण
योजना का विवरण | जानकारी 2025 में |
डीएपी खाद की नई कीमत | ₹1350/बैग (50 KG) |
यूरिया खाद की नई कीमत | ₹266.50/बैग (45 KG) |
डीएपी पर सब्सिडी | ₹27,799 प्रति टन |
यूरिया पर सब्सिडी | सरकार द्वारा निर्धारित |
कुल खाद सब्सिडी बजट | ₹37,216.15 करोड़ |
खाद वितरण प्रणाली | iFMS के माध्यम से |
आवेदन की आवश्यकता | नहीं (स्वचालित) |
योजना का लाभ | सभी पंजीकृत किसान |
मुख्य बातें
- डीएपी खाद की कीमत ₹1350 प्रति 50 किलोग्राम बोरी तय की गई है।
- यूरिया खाद की कीमत ₹266.50 प्रति 45 किलोग्राम बोरी है।
- खरीफ 2025 के लिए कुल ₹37,216.15 करोड़ की सब्सिडी जारी की गई है।
- डीएपी पर सब्सिडी ₹27,799 प्रति टन है।
- खाद की आवाजाही को iFMS के जरिए ट्रैक किया जा रहा है।
- किसानों को अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ेगा।
- यह योजना सभी पंजीकृत किसानों के लिए लागू है।
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ी कीमतों का असर किसानों पर नहीं पड़ेगा।
लाभ की विशेषताएं
- किसानों को खेती की लागत कम करने में मदद मिलेगी।
- खाद की कीमतों में स्थिरता बनी रहेगी।
- सब्सिडी के जरिए सरकार खाद की वास्तविक लागत का अधिकांश भाग वहन कर रही है।
- iFMS प्रणाली से खाद की कालाबाजारी रुकेगी।
- खाद की उपलब्धता सभी राज्यों में सुनिश्चित की जा रही है।
- छोटे और सीमांत किसानों को विशेष लाभ मिलेगा।
- फसल उत्पादन में वृद्धि होने की संभावना है।
- देश की खाद्य सुरक्षा मजबूत होगी।
विशेषज्ञों की राय
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है। खाद पर दी जा रही भारी सब्सिडी से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी। यह निर्णय खेती को लाभदायक बनाने में मदद करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे खाद की कालाबाजारी और अनियमितताओं पर भी अंकुश लगेगा।
खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए iFMS प्रणाली को लागू करना एक सकारात्मक कदम है। इससे खाद की आवाजाही का पूरा डेटा उपलब्ध होगा। इससे गड़बड़ी की संभावना कम होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह नीति देश की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूती देगी।
भविष्य की योजनाएं
सरकार खाद की सप्लाई बढ़ाने पर लगातार जोर दे रही है। 2025 में किसी भी प्रकार की खाद की कमी नहीं होगी। रबी और खरीफ दोनों सीजन में खाद की निगरानी की जा रही है। आवश्यकता के अनुसार सब्सिडी में बढ़ोतरी की जा सकती है।
सरकार ने चने और मसूर जैसी दालों पर आयात शुल्क बढ़ाकर देशी किसानों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है। इससे विदेशी दालें महंगी होंगी और देशी किसानों को उचित दाम मिलेगा। यह नीति देशी उत्पादन को बढ़ावा देगी।
निष्कर्ष
सरकार ने खरीफ 2025 के लिए डीएपी और यूरिया खाद की कीमतों को स्थिर रखकर किसानों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाई है। भारी सब्सिडी और iFMS जैसी तकनीकी प्रणाली से खाद की उपलब्धता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा रही है। यह निर्णय किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करेगा और देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती देगा।