खेती की दुनिया में तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है और अब किसान भी नए तरीके से खेती में बदलाव ला रहे हैं। भारत सरकार ने हाल ही में किसानों के लिए एक शानदार योजना शुरू की है, जिसमें उन्हें ड्रोन खरीदने पर सीधा फायदा मिल रहा है। इस स्कीम का मकसद किसानों की मेहनत को आसान बनाना और फसल की पैदावार बढ़ाना है।
बढ़ती लागत और मजदूरों की कमी के कारण कई बार किसान परेशान हो जाते हैं। ड्रोन तकनीक से अब यह समस्या हल हो सकती है, क्योंकि ड्रोन से छिड़काव, कीटनाशक स्प्रे और फसल की निगरानी बहुत आसान हो जाती है। इसके लिए सरकार ने 2025 में “ड्रोन सब्सिडी स्कीम” की शुरुआत की है, जिसमें किसानों को लगभग 60% तक सब्सिडी दी जा रही है।
Drone Subsidy Scheme:
इस योजना के तहत किसानों को ड्रोन खरीदने के लिए सरकार आर्थिक मदद दे रही है। खासतौर पर छोटे और सीमांत किसान जो पहले इतनी महंगी तकनीक नहीं खरीद पाते थे, वह भी अब ड्रोन से अपनी खेती को मॉडर्न बना सकते हैं। सरकार का मानना है कि ड्रोन तकनीक से खेती की लागत कम होगी और फसल की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
ड्रोन का इस्तेमाल फसल पर दवाई छिड़कने, पानी की मात्रा देखने और मिट्टी की सही स्थिति का विश्लेषण करने के लिए किया जाता है। इससे किसान न केवल पैसे बचा सकते हैं बल्कि समय भी कम लगाते हैं।
इसके अलावा, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि गांव के हर किसान तक यह योजना पहुंचे। राज्य सरकारें और किसान उत्पादक संगठन (FPO) भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। स्कीम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि किसान सीधे आवेदन कर सकते हैं और पारदर्शी तरीके से सब्सिडी मिलती है।
किसानों को मिलने वाले फायदे
ड्रोन सब्सिडी स्कीम के तहत किसानों को ड्रोन खरीदने पर कुल लागत का 60% हिस्सा सरकार देती है। यानी, अगर कोई ड्रोन 5 लाख रुपये का है, तो किसान को सिर्फ 2 लाख रुपये खर्च करने होंगे, बाकी 3 लाख रुपये सब्सिडी के रूप में सरकार देगी। यह सब्सिडी मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर्स वेलफेयर द्वारा दी जा रही है।
इसके अलावा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिला किसान और पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों को विशेष प्राथमिकता मिलती है। वहीं किसान उत्पादक संगठनों को भी समूह के तौर पर सब्सिडी मिलती है, यानी अगर फॉर्मर ग्रुप एक साथ ड्रोन खरीदते हैं, तो कई लोगों को लाभ मिल सकता है।
ड्रोन के इस्तेमाल से खाद और कीटनाशक के छिड़काव में मैन्युअल मेहनत लगभग खत्म हो जाती है। इस वजह से खेती का उत्पादन भी सुरक्षित और बेहतर रहता है। मौसम में बदलाव या अचानक आई आपदा के दौरान भी ड्रोन की मदद से फसल की स्थिति का आंकलन किया जा सकता है, जिससे किसान को सही समय पर उपाय करने का मौका मिल जाता है।
आवेदन करने की प्रक्रिया (Step-by-Step)
ड्रोन सब्सिडी स्कीम का लाभ लेने के लिए किसान को कुछ आसान स्टेप्स फॉलो करने होते हैं।
- सबसे पहले किसान नजदीकी कृषि विभाग या जिला कृषि कार्यालय में जाकर जानकारी ले सकता है।
- किसान को ड्रोन खरीदने के लिए मान्यता प्राप्त वेंडर या निर्माता से ही ड्रोन का ऑर्डर देना होता है।
- ड्रोन की खरीद के बाद, बिल और सभी जरूरी कागजात के साथ सब्सिडी के लिए आवेदन करना होगा।
- आवेदन की जांच के बाद, सीधे किसान के बैंक खाते में सब्सिडी का पैसा ट्रांसफर कर दिया जाता है।
आवश्यक दस्तावेजों में किसान की पहचान पत्र (आधार कार्ड), फसल का ब्यौरा, बैंक पासबुक, जमीन के कागजात और ड्रोन की खरीद का बिल शामिल होते हैं। राज्य विशेष के अनुसार कुछ और कागजात भी मांगे जा सकते हैं।
योग्यता शर्तें
इस योजना का लाभ भारत के किसी भी राज्य का किसान ले सकता है, बशर्ते वह पंजीकृत किसान हो। छोटे, सीमांत, महिला, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ट्राइबल किसान इस स्कीम के लिए प्राथमिकता पाते हैं। साथ ही, जिन किसानों के नाम जमीन का रिकॉर्ड है, वही आवेदन कर सकते हैं।
ड्रोन खरीदने के बाद किसान को कम-से-कम एक साल तक उसका इस्तेमाल दिखाना होता है, जिसमें कृषि विभाग की टीम उसका सत्यापन भी कर सकती है।
निष्कर्ष
ड्रोन सब्सिडी स्कीम से किसान तेज, सुरक्षित और उन्नत खेती कर सकते हैं। सरकार की यह पहल खेती में तकनीक के नए युग की शुरुआत करती है, जिससे किसानों का भविष्य और भी मजबूत होगा। किसानों को चाहिए कि फटाफट आवेदन करें और इस योजना का पूरा लाभ उठाएं।