भारत के दो बड़े शहर, गुड़गांव और बेंगलुरु, कर्मचारी और नौकरीपेशा लोगों के बीच हमेशा चर्चा का विषय रहते हैं। दोनों शहरों में आईटी और कॉर्पोरेट सेक्टर में कई अवसर उपलब्ध हैं। लेकिन जब बात होती है एक जैसी नौकरी और एक जैसी सैलरी की, तो फिर भी गुड़गांव में खर्चा बेंगलुरु की तुलना में कहीं अधिक होता है। क्या वजह है इस फर्क की?
इस पूरी स्थिति को एक चार्टर्ड अकाउंटेंट यानी सीए ने विस्तार से समझाया है। इस लेख में हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि कैसे गुड़गांव और बेंगलुरु में, समान सैलरी होते हुए भी अलग-अलग खर्चे सामने आते हैं, और यह पूरा फरक क्यों महत्वपूर्ण है।
Gurgaon vs Bengaluru: Full Comparison
गुड़गांव और बेंगलुरु दोनों ही शहर उच्च तकनीकी और प्रॉफेशनल नौकरियों के लिए पहचान रखते हैं, खासकर आईटी और सर्विस सेक्टर में। कई बार किसी व्यक्ति को गुड़गांव और बेंगलुरु में एक ही कंपनी, एक ही पद, और लगभग समान वेतन पैकेज मिलता है। लेकिन जब महीने के ख़र्चों की बात आती है तो गुड़गांव वालों की जेब ज्यादा ढीली होती है।
यह फर्क मुख्य रूप से शहर की लागत-जीवन (cost of living) में नज़र आता है। गुड़गांव में किराया, खाना, ट्रांसपोर्ट और अन्य सुविधाओं के मूल्य बेंगलुरु की तुलना में अक्सर अधिक होते हैं। उदाहरण के तौर पर, गुड़गांव में एक कमरे के अपार्टमेंट का किराया लगभग ₹25,000 से ₹45,000 तक हो सकता है, जबकि बेंगलुरु में यह ₹15,000 से ₹30,000 के बीच होता है। इसके अलावा, गुड़गांव में भोजन, घरेलू सेवाओं और अन्य दैनिक आवश्यकताओं की कीमतें भी कुछ ज्यादा होती हैं।
इस मामले को समझाते हुए एक वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट ने बताया कि सैलरी का बड़ा हिस्सा अगर गुड़गांव में जाता है तो बेंगलुरु में उसी सैलरी से बेहतर जीवन स्तर हासिल किया जा सकता है। वे कहते हैं कि “अगर बेंगलुरु में ₹1 लाख की सैलरी है, तो गुड़गांव में वही नौकरी ₹1 लाख के आसपास है, लेकिन गुड़गांव के महंगे किराये और खर्चों के चलते बचत कम होती है।”
गुड़गांव और बेंगलुरु में रहने के खर्चे
गुड़गांव के महंगे किराए के पीछे उसका कॉर्पोरेट हब होना है। यहां बड़ी कंपनियां और मल्टीनेशनल कंपनियों के कार्यालय हैं, जिसकी वजह से बेहतर सुविधाओं के साथ आवास की मांग अधिक है। वहीं दूसरी ओर, बेंगलुरु का माहौल थोड़ा सा किफायती होने के साथ-साथ क्लाइमेट भी बेहतर माना जाता है। इसके कारण लोग कम खर्चों में अच्छा जीवन स्तर सुनिश्चित कर पाते हैं।
गुड़गांव का ट्रांसपोर्टेशन खर्च भी बेंगलुरु से अधिक है। वहां का मासिक ट्रांसपोर्ट खर्च लगभग ₹3000 के आसपास रहता है, जबकि बेंगलुरु में यह थोड़ा कम होता है। साथ ही, यद्यपि बेंगलुरु के कुछ क्षेत्रों में स्कूलों की फीस और अन्य शैक्षणिक खर्च भी गुड़गांव की तुलनात्मक फीस से कम हो सकते हैं।
खाद्य सामग्री के दामों में भी फर्क है। उदाहरण के लिए, बेंगलुरु में सब्ज़ियों और फलों की कीमतें करीब 20-30% तक कम होती हैं जबकि गुड़गांव के कई उपभोक्ता वस्तुओं के दाम अधिक होते हैं। यही वजह है कि गुड़गांव में परिवार का मासिक बजट बेंगलुरु के मुकाबले औसतन ₹10,000 से ₹15,000 ज्यादा होता है।
सीए ने समझाई पूरी बात
चार्टर्ड अकाउंटेंट ने विस्तार से बताया कि जिन लोगों को समान सैलरी मिलती है, उन्हें महंगे शहर में रहते हुए अपने बजट का शत-प्रतिशत विश्लेषण करना चाहिए। गुड़गांव में वेतन तो अच्छा मिलता है, लेकिन खर्च ज्यादा होने के कारण फाइनेंशियल स्ट्रेस भी बढ़ जाता है। इसके चलते, गुड़गांव में बचत और निवेश के अवसर कम हो जाते हैं।
उन्होंने सुझाव दिया कि जहां तक संभव हो, जीवनशैली को थोड़ा सादगीपूर्ण बनाएं और खर्चों पर नियंत्रण रखें। साथ ही गुड़गांव में रहने के लिए अपने आवास और ट्रांसपोर्ट के विकल्पों पर विस्तार से सोचें, ताकि ज्यादा खर्च न हो। वहीं, बेंगलुरु में रहने वाले लोग तुलनात्मक रूप से अधिक बचत कर पाते हैं, जिससे वे निवेश और भविष्य की योजनाएं बेहतर तरीके से बना पाते हैं।
निष्कर्ष
गुड़गांव और बेंगलुरु में समान नौकरी और समान वेतन के बावजूद खर्चों में उल्लेखनीय अंतर है। गुड़गांव में जीवन यापन बेंगलुरु की तुलना में महंगा है, खासकर आवास, भोजन और ट्रांसपोर्ट के मामले में। इसलिए किसी भी नौकरी या स्थान परिवर्तन के समय इन खर्चों को ध्यान में रखना आवश्यक है ताकि वित्तीय योजना प्रभावी हो।
इस प्रकार, नौकरी के साथ-साथ जीवनशैली और खर्चों का संतुलन बनाए रखना ही सही निर्णय होगा।